तु मुझे अपना मुरीद बना ले
ओ शायर, तु मुझे अपना मुरीद बना ले,
वो दर्द हैं ना, उस पर मुझे थोड़ा लिखना सिखा दें!
यूँ तो ग़ज़ल हमारी भी, महफ़िल में मशहूर हैं,
लेकिन अब तु मुझे दर्द भरी नज़्मों से वाकिफ करा दें!
खुब देख लिया मैंने, मोहब्बत में इंसानों को ख़ुदा बनते,
अब ज़रा, तु मुझे उस बेरहम काफ़िर से भी मिला दें!
इनायत हैं, उस सें मेरी, मेरे मोहब्बत के महबूब सें,
कि वो अब मुझे उसकी हिदायत-ए-बेवफाई दिखा दें!
उसकी खूबियों पर लिखकर, हम ही उसे ख़ुदा ना बना दें,
इसलिए बुराई भी ज़्बत की हैं मैंने, मन हैं कि सुना दें!
खूब लिख लिया मैंने, उसे अपनी मोहब्बत के पन्नों में,
ओ शायर, अब तु मुझे दर्द भरी शायरियाँ भी सिखा दें!
की शायर, अब मुझे दर्द पे लिखने का शौक़-सा हो रहा हैं,
अब फूलों की राह तबाह कर, तु मुझे कांटो पर चलना सिखा दें!
पिंकी बंसल
दिल्ली, नजफगढ़!
भारती काॅलेज (Bharati College)
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